जनपथ न्यूज़ आज अति प्रातः काल (सूर्योदय के पूर्व ) से ही जीवितपुत्रिका या जीयुतिया का व्रत प्रारम्भ हो गया है पुत्रवती महिलायें अपने पुत्र की लम्बी आयु के लिए निर्जला व्रत हैं कल बुधवार को प्रातः 6:15 बजे के बाद पूजन करके पारन करेंगी। यह निर्जला व्रत होता है। व्रत का पारण अगले दिन प्रातःकाल किया जाता है जिसके बाद आप कैसा भी भोजन कर सकते है।
शुभ मुहूर्तः अष्टमी तिथि समाप्त: 3 अक्टूबर 2018 सुबह 6 बजकर 15 मिनट तक
जिउतिया के प्रसाद में खीरा, गुड़, केराव के प्रसाद के साथ जिउतिया सूत्र भी चढ़ाया जाता है। यह भी मान्यता है कि कुश का जीमूतवाहन बनाकर, उसे पानी में डालकर, बांस के पत्ते, चंदन, फूल से पूजा करने पर वंशवृद्धि होती है। व्रत का पारण बुधवार को सूर्योदय के बाद होगा।
जीमूतवाहन की होती है पूजा
आश्विन कृष्ट अष्टमी तिथि को माताएं जीमूतवाहन की पूजा करती हैं। जीमूतवाहन गंधर्व राजकुमार था, जिसने के वृद्धा के पुत्र की जान बचाई थी। इसलिए जितिया में कुश से जीमूतवाहन की प्रतिमा बनाकर इसकी पूजा-अर्चना की जाती है। इसमें इसमें मिट्टी और गोबर से चील-सियारन की प्रतिमा भी बनाई जाती है।