भारतीय लोकतंत्र विश्व मे सवॅश्रेष्ठ तो है परन्तु बैक वालो के लिए क्यो नही है । एक तरफ बडे – बडे पूँजीपतिओ द्वारा अरबो – खरबो मे बैक से कजॅ के रूप मे खरबो की राशि लेकर विदेशो मे शेर सपाटो का आनंद लेते है, विदेशी वासी बन जाते है । यहाॅ पक्ष – विपक्ष सिफॅ बकवास – अट्टहास करके आमजनमानस को उल्लू बनाते है । परन्तु आजतक कांग्रेस हो या भाजपा बैक नीति को आमजनमानस हिताथॅ नही बनाया है , जैसे – सामान्य जन को श्रृण पाप्त करने मे महीनो का रोजी – रोटी मुफ्त मे चला जाता है , अंत मे कमीशन, दलाल और जी हजूरी ही कायॅ करता है । ठीक उसी तरह बैक के खाते मे नीजी रूपया जमा करो तो बैक खाताधारीओ के बिना इजाजत – बिना जानकारी का अपने मन से जितना रूपया हो काट लेता है , यहाॅ तक की बैक उसका मैसेज भी नही देता है । खासकर एसबीआई शाखा के प्रबंधक इसमे सबसे ज्यादा मनमानी करता है ।
एक पीड़ित केसीसी श्रृण एसबीआई प्रतापगंज ( बिहार ) से प्राप्त किया था , जिसमे फसलवार पैदावारी के हिसाब से रूपया जमा करता रहा । जिसमे धान फसल क्षति बीमा का राशि आजतक जमा नही किया है । परन्तु आज जब एक बिमारीओ से केसीसी धारक साधारण राशि बकाए था । वह एसजीपीजीआई लखनऊ मे ईलाज रत भत्ती हुआ तो हम प्रदेश मे और एसबीआई के वर्तमान शाखा प्रबंधक प्रतापगंज बिहार के प्रबंधक बैक मे नीजी राशि से कुल मोटी राशि काटकर एकाॅन्ट खाली कर दिया है । क्या पीजीआई लखनऊ इलाज रत मे पैसे के
अभाव मे जीवन को खतरे मे आ गया है ऐ अहम सवाल है ? जिस प्रसंग मे वित्तमंत्री भारत सरकार व बैक को
भी लिखा है ? इसलिए भारत सरकार को सामान्य जनो के हिताथॅ उचित कानून बनाने होगे ।
जानकारी अनुसार केसीसी श्रृण बाॅकी मात्र 30-31 हजार रुपए था और धान फसल क्षतिग्रस्त बीमा का कन्फर्म पत्र कृषि विभाग द्वारा बैक को 32 हजार रुपए का था जिसे खाता मे नही एडजस्ट किया । साथ ही अगर बैक का राशि बकाए था तो केसीसी धारक को बैंक प्रबंधक रजिस्टर्ड डाक से या स्वंय मिलकर अवगत क्यो न कराऐ यह एक गम्भीर सवाल है ?
शाखा प्रबंधक को यह जानकारी हो गई थी कि – यह व्यक्ति ईलाज के लिए खाता मे रूपया जमा किया है तो बिना जानकारी दिऐ ही वह गुप्त रूप से नीजी खाते से एक मुस्त 26000 रूपया काट लेता है । जब नीजी खाता के मालिक रामानन्द सिंह रौशन अपने ईलाज जाॅच मे रूपया देना चाहा तो रूपया सोट निकला । तभी एसबीआई प्रतापगंज के प्रबंधक को फोन लगाया तो वे जानकारी दिए आपके नीजी खाता से केसीसी श्रृण मे कट गया है ।
बताते चले कि एसबीआई प्रतापगंज शाखा का यह मनमानी तरीका बन गया है । चूंकि बैक प्रबंधक को विभागीय यह निदेश है कि क्षेत्र मे ग्राहक सम्पॅक अभियान बनाते रहे , लेकिन युवा शाखा प्रबंधक प्रतापगंज अपने एसी कमरे से ही फरमान जारी कर देते है । मिलाजुला कर शाखा प्रबंधक ने बिमार अवस्था मे ईलाज रत स्थायी वाशी के लिए अमानता पूणॅ , मानवीय संवेदना को प्रश्न चिन्ह पर खडी कर दिए । ईसलिए रिजर्व बैंक व वित्तमंत्री भारत सरकार से अपील है कि ऐसी संवेदनहीनता पर कानूनी कार्रवाई की उचित प्रक्रिया शुरू कर ग्राहक सेवा मे मानवाधिकार जारी हो ।
संदभॅ मे मेल वित्तमंत्री भारत सरकार व बिहार सरकार को भी दिया गया है , तथापि मंत्रालय ने मेल संदेश मे अग्रसारीत करने का मेसेज से अवगत कराया है ।
R .N. Singh Roshan