जनपथ न्यूज़ पूर्णिया.  केंद्रीय कारा के सजायाफ्ता कैदी भवानीपुर थाना के श्रीपुर निवासी नित्यानंद मंडल की मौत के बाद परिजन सदर अस्पताल से उसके शव को स्ट्रेचर पर लेकर करीब एक किलोमीटर तक निकल गए। परिजन केंद्रीय कारा के मुख्य गेट पर हंगामा करने के लिए शव को ले जाना चाह रहे थे।
 
उधर, मृतक के बेटे सिंटू का कहना था कि जेल प्रबंधन की लापरवाही और डॉक्टर की लापरवाही का ही नतीजा है कि उनके पिता की मौत हुई है। जानबूझकर मेरे पिताजी की हत्या कर दी गई है और इलाज का बहाना कर शव को अस्पताल भेज दिया गया है।
 
सूचना पर पुलिस जब तक पहुंची तो परिजन शव को लेकर सदर अस्पताल से डेढ़ किलोमीटर आगे फोर्ड कंपनी चौक पर पहुंच चुके थे। स्थिति यह हो गई कि पीछे-पीछे पुलिस दौड़ रही थी और आगे आगे स्ट्रेचर पर शव को लेकर उसके परिजन केंद्रीय कारा के मुख्य गेट की तरफ भाग रहे थे।
 
काफी जद्दोजहद के बाद 22 मिनट के बाद पुलिस ने शव को कब्जे में लिया और जबरदस्ती शव को लेकर भाग रहे उसके परिजन को वापस सदर अस्पताल लेकर पहुंचे। हालांकि इस मौके पर पुलिस और उनके परिजनों के बीच आधे घंटे तक स्थिति काफी तनावपूर्ण रही। आधे घंटे के बाद पुलिस शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए गई, लेकिन परिजनों ने अस्पताल में भी दो घंटे तक जमकर बवाल काटा।
 
छह साल से लगातार था वार्ड का इंचार्ज 
पिछले छह साल से केंद्रीय कारा के वार्ड नंबर-13 के इंचार्ज का जिम्मा नित्यानंद मंडल के पास था और उनके साथियों की संख्या अधिक होने के कारण केंद्रीय कारा के अंदर उसका दबदबा था। यही कारण है कि कई जेल अधीक्षक के आने के बावजूद भी वार्ड-13 का प्रभार उसके पास ही रहा। वार्ड-13 के मेस का संचालन भी वे खुद ही करता था। उनके मन के अनुसार ही भोजन का मेन्यू तैयार होता था।
 
पैसा वसूली को लेकर कैदियों से होता था झगड़ा
मृतक के एक रिश्तेदार संदीप कुमार ने बताया कि नित्यानंद मंडल पिछले छह साल से जेल के अंदर मेस का संचालन करते थे और जब भी उन्हें बाहर से किसी तरह के कोई सामान की जरूरत होती थी तो आसानी से सामान पहुंच जाता था।
 
अक्सर मेस में खाना बनाने और वार्ड नंबर-13 में बंद कैदियों से रुपया की वसूली को लेकर अन्य कैदियों के साथ मृतक कैदी नित्यानद मंडल का झगड़ा होता रहता था। कई बार तो झगड़े की नौबत इस हद तक आ जाती थी कि इस मामले का बीचबचाव करने के लिए जेल अधीक्षक और जेलर को भी हस्तक्षेप करना पड़ता था।
 
इलाज के लिए बाहर जाने से करता था मना
जेलर रामानुज कुमार ने बताया कि कई बार नित्यानंद मंडल को पूछा गया था कि यदि उनकी तबीयत ज्यादा खराब है तो बाहर भेजा जाएगा, लेकिन वह बार-बार मना कर देता था कि उनकी तबीयत में सुधार है और बाहर जाने की जरूरत नहीं है। रामानुज कुमार ने कहा कि वह एक सप्ताह पहले ही यहां आए हैं, जिस कारण से वे यह बता नहीं सकते कि किस आधार पर नित्यानंद मंडल वार्ड इंचार्ज बनाया जाता रहा है।
 
रुपए वसूली करने की बात से जेल प्रशासन का इनकार
सूत्रों से यह भी चर्चा है कि प्रत्येक साल वार्ड-13 की खरीद को लेकर पैसे का लेनदेन होता है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर वह छह साल से कैसे वार्ड 13 का इंचार्ज बना रहा। एक चर्चा यह भी है कि नित्यानंद मंडल मनमाने तरीके से 13 नम्बर वार्ड के कैदियों से रुपए वसूली करता था, हालांकि जेल प्रशासन ऐसी किसी भी बात से इंकार कर रहा है।
 
न्यायिक जांच की मांग
बेटे का आरोप है कि जेल प्रबंधन की लापरवाही का नतीजा है कि उनके पिता की मौत हुई है उनके परिजनों ने न्यायिक जांच की मांग की है ताकि सच्चाई सामने आ सके। जेल के अंदर अन्य कैदी इस मामले को लेकर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं। घटना के बाद जेल की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और चप्पे-चप्पे पर निगरानी की जा रही है।

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