दिल्ली/पटना. आईआरसीटीसी घोटाले का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। लालू और उनके परिवार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाले वेंकटेश प्रसाद शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग पर जांच में लालू और उनके परिवार को बचाने का आरोप लगाया है।
-वेंकटेश प्रसाद शर्मा ने याचिका में लिखा कि सीबीआई ने आईआरसीटीसी के तत्कालीन डायरेक्टर राकेश सक्सेना के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की, लेकिन बाद में चार्जशीट में राकेश का नाम शामिल किया गया। इस वजह से जांच कमजोर हो गई। एफआईआर दर्ज नहीं होने से राकेश सक्सेना हर जांच और पूछताछ से बचते रहे। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से पूरे मामले की एसआईटी जांच की मांग की है।
क्या है पूरा मामला ?
– आइआरसीटीसी के 2 होटलों की नीलामी में बड़े पैमाने पर हुए घोटाले को लेकर सीबीआई ने 7 जुलाई को लालू समेत 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इस सिलसिले में उनके 12 ठिकानों पर छापेमारी की गई थी।
– सीबीआई के एडिशनल डायरेक्टर, राकेश अस्थाना ने बताया था, “लालू यादव रेल मंत्री थे, तब रेलवे के पुरी और रांची स्थित बीएनआर होटल को IRCTC को ट्रांसफर किया था। इन्हें रख-रखाव और इम्प्रूव करने के लिए लीज पर देने की प्लानिंग थी।
-इसके लिए टेंडर विनय कोचर की कंपनी मेसर्स सुजाता होटल्स को दिए गए। टेंडर प्रॉसेस में हेर-फेर किया गया था। टेंडर की यह प्रॉसेस आईआरसीटीसी के उस वक्त के एमडी पीके गोयल ने पूरी की।
-टेंडर के एवज में 25 फरवरी 2005 को कोचर ने पटना के बेली रोड स्थित 3 एकड़ जमीन सरला गुप्ता की कंपनी मेसर्स डिलाइट मार्केटिंग कंपनी लिमिटेड (डीएमसीएल) को 1.47 करोड़ रुपए में बेच दी, जबकि बाजार में उसकी कीमत 1.93 करोड़ रुपए थी। इसे एग्रीकल्चर लैंड बताकर सर्कल रेट से काफी कम पर बेचा गया, स्टैम्प ड्यूटी में गड़बड़ी की गई।
-बाद में 2010 से 2014 के बीच यह बेनामी प्रॉपर्टी लालू की फैमिली की कंपनी लारा प्रोजेक्ट को सिर्फ 65 लाख में ट्रांसफर कर दी गई, जबकि सर्कल रेट के तहत इसकी कीमत करीब 32 करोड़ थी और मार्केट रेट 94 करोड़ रुपए था।
– एफआईआर में आरोप है, “कोचर ने जिस दिन डीएमसीएल के फेवर में यह सौदा किया, उसी दिन रेलवे बोर्ड ने आईआरसीटीसी को उसे बीएनआर होटल्स सौंपे जाने के अपने फैसले के बारे में बताया।”